786+ Hussaini shayari in hindi | हुसैनी शायरी

Hussaini shayari


Hussaini shayari in hindi | Hussaini shayari hindi mai | Hussaini shayari hindi | हुसैनी शायरी



दिल से निकली दुआ है हमारी,
मिले आपको दुनिया में खुशियां सारी,
गम ना दे आपको खुदा कभी,
चाहे तो एक खुशी कम कर दे हमारी.





क्‍या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का





सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला
इस्‍लाम से क्‍या पूछते हो कौन हुसैन?
हुसैन है इस्‍लाम को बनाने वाला




मोहर्रम की शायरी
जन्‍नत की आरज़ू में कहां जा रहे हैं लोग
जन्‍नत तो करबला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरात में जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो मरना हुसैन से




मौला अब्बास text msg
नज़र गम है नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
बगैर उनके नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
नबी कहते थे अकसर के अकसर ज़‍िक्र-ए-हैदर से
मेरे कुछ जान निसारों को बड़ी तकलीफ होती है







कत्‍ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद है
इस्‍लाम ज़‍िंदा होता है हर करबला के बाद




सजदा से करबला को बंदगी मिल गई
सबर से उम्‍मत को ज़‍िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्‍लाम को ज़‍िंदगी मिल गई.






क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।




शायरी आला हजरत
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।






कर्बला की कहानी में कत्लेआम था
लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानी
जो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था.
मुहर्रम शायरी

खुशियों का सफ़र तो गम से शुरू होता है,
हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है.
Happy Muharram

लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,
कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।
मुहर्रम पर शायरी

ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखें छलक पड़ी,
पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से.
Mateen Ahmad

मिटकर भी मिट सके ना
ऐसा वो हामी-ओ-यावर
नेज़े की नोंक पर था
फिर भी बुलंद था सर.
एहतिशाम आलम

दिल थाम के सोचा लिखूं शान-ए-हुसैन में,
कलम चीख उठी कहा बस अब रोने दो.
मुहर्रम शायरी




वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम.
Zamir Hashmi

सल्तनत ए यजीदी मिट गई दुनियां से
दिलों में हैं लोगों के बादशाहत ए हुसैन
शान लखनवी

सुन लो यज़ीदीयों, तड़पा नही हुसैन मेरा, पानी के लिए
दरिया ज़रूर महरूम था, लब-ए हुसैन को छूने के लिए।
Muharram Shayari
हुसैन का सम्मान शायरी

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।
Happy Muharram

अपनी सारी मुश्किलें
मुश्किल कुशा पर छोड़ दें
फैसला जो होगा हक
वो तू खुदा पर छोड़ दें
दास्तां इस्लाम की तुझसे
अगर पूछे कोई..
बात मदीने से शुरू कर
और कर्बला पर छोड़ दें

फलक पर शोक का बादल अजीब आया है,
कि जैसे माह मुहर्रम नजदीक आया है.
Muharram Shayari

सजदे में सर, गले पे खंजर और तीन दिन की प्यास
ऐसी नमाज़ फिर ना हुई……. कर्बला के बाद


न हिला पाया वो रब की मैहर को,
भले ही जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ,
वही था असली और सच्चा पैगंबर।
इमाम,




अफज़ल है कुल जहाँ से घराना हुसैन का
निबिओं का ताजदार है घराना हुसैन का
एक पल की थी बस हुकूमत यजीद की
सदियन हुसैन रा है जमाना रा हुसैन का

तरीका मिसाल असी कोई दोंड के लिए
सर तन से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये
सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल
एक हुसैन रा अब अली रा जैन मैं आये

Imam Hussain Shayari in Hindi
क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का



Imam Hussain Message Karbala
हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है




क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का




ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ
सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने




सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला




न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर




गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन
शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला




जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर




वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम

फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई




एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का

Prakash Roy

Prakash Roy, the founder of pktric.club. I have completed B Tech in-stream Electrical & Electronic Engineering. I love to share my knowledge and Creativity.....

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